पथिक
पथिक
हे रे पथिक
अब मत रुक जाना
चलना तेरा काम है
बस चलते जाना।
रास्ते लंबे होंगे
कांटों भरे ताज होंगे
मुश्किलों के पहाड़ और
गहरी खाईयों के भय से
तू मत घबराना
बस चलते जाना।
संयम तेरा सहारा होगा
उससे ना विमुख हो जाना
दृढ़ संकल्प मन में हो तेरे
तो सब तर जाएगा,
हौसला बनाकर रखना
तू मंजिल भी पा जायेगा ।
आंधियाँ भी आएँगी
तूफान रास्ता रोकेंगे,
आंधियों को रोक कर
पहाड़ का सीना चीरकर
तू स्वयं का पथ बनाना
बस चलते जाना।
धूप की ना छाँव की
पथरीले राहों की
तू तनिक परवाह ना करना,
मंज़िल अपनी देख कर
धीरे धीरे पग भरना
बस चलते रहना।
ना रुकना ना थकना
तू बस चलते रहना,
माया से भ्रमित हो
लक्ष्य से कभी डिगना
मंजिल जबतक ना आ जाए
बस चलते रहना।
रास्ता लंबा ज़रूर होगा
प्यासा भी तू बहुत होगा
तन के घावों की चिंता छोड़
खुद संकट अपने हर लेना
तू बस बढ़ते रहना।
मंजिल जब पास हो तेरे
तू खुद पर सब्र रखना
टूटती सांसों की
तू तनिक परवाह ना करना
बस चलते रहना चलते रहना
मंजिल की ओर
अपने कदम बढ़ाते रहना।