पर्यावरण
पर्यावरण
पर्यावरण पर रहम करो।
अरे! मानव,अब तो कुछ शर्म करो।
कितना क्रूर है तू,
कितना धुआं उड़ाता है।
कितनी सुंदर थी दुनिया,
दिन-रात कचरा फैलाता है।
कितने पेड़-पौधे, तूने काट डाले।
तेरी करतूतों से,घटे नद और नाले।
तेरी झूठी अकड़, उस दिन खतम होगी,
आई.सी.यू. में होगा भर्ती, जब आक्सीजन घटेगी।।
