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J P Raghuwanshi

Abstract Tragedy Inspirational

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J P Raghuwanshi

Abstract Tragedy Inspirational

पर्यावरण

पर्यावरण

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पर्यावरण पर रहम करो।

अरे! मानव,अब तो कुछ शर्म करो।


कितना क्रूर है तू,

कितना धुआं उड़ाता है।

कितनी सुंदर थी दुनिया,

दिन-रात कचरा फैलाता है।


कितने पेड़-पौधे, तूने काट डाले।

तेरी करतूतों से,घटे नद और नाले।


तेरी झूठी अकड़, उस दिन खतम होगी,

आई.सी.यू. में होगा भर्ती, जब आक्सीजन घटेगी।।


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