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Anita Chandrakar

Inspirational

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Anita Chandrakar

Inspirational

पर्यावरण

पर्यावरण

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धरती माता की आँखों से, बह रही आज अश्रुधारा।

स्वार्थवश अंधाधुंध दोहन कर, अब लगा रहें हम नारा।

माँ लुटाती वात्सल्य हम पर, सहती हैं सबका भार।

हम भूल गयें संतान-धर्म, तभी मचा हुआ है हाहाकार।

जल थल वायु प्रदूषित, पर हम छोड़ न पाये अत्याचार।

आपदाएँ चारों ओर, कर्मों का फल भुगत रहा संसार।

नदियाँ पर्वत वन खनिज भंडार, मिला अमूल्य उपहार।

चलो प्रकृति को सुंदर बनाएँ, हम मनुष्य ही कर्जदार।

प्रदूषण से बचाएँ मृदा को , मिट्टी जीवन का आधार।

हरियाली देती है खुशियाँ, प्रकृति का मानें आभार।

रहे प्रदूषण मुक्त पर्यावरण, तभी बचेगा यह संसार।

आओ हम सब मिलकर, पेड़ों से करें अवनि का श्रृंगार।


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