प्रयास
प्रयास
अहं की धूल ना यूँ,
रिश्तों के आईनों पर जमने दो,
साफ से अक्स भी
आँखों को धूमिल फिर दिखने लगे ...
अपनत्व के छींटों से पोंछ दो गर्द ये,
हर चेहरे स्पष्ट से फिर दिखने लगेंगे.....
अहं की धूल ना यूँ,
रिश्तों के आईनों पर जमने दो,
साफ से अक्स भी
आँखों को धूमिल फिर दिखने लगे ...
अपनत्व के छींटों से पोंछ दो गर्द ये,
हर चेहरे स्पष्ट से फिर दिखने लगेंगे.....