प्रतिज्ञा पथ
प्रतिज्ञा पथ
प्रणाम तुम्हारी प्रतिज्ञा को, नतमस्तक सब हो जाएंगे,
बस दृढ़ निश्चय से लगे रहो, अंधेरे कभी न आएंगे।
तुम अंतहीन, तुम महावीर, तुम श्री राम की रचना हो,
मानवता पथ पर चले रहो, प्रत्याशा सब सच हो जाएंगे।
जो दिव्य दृष्टि से परिपूर्ण, क्या अंधेरों ने रोका उन्हें कभी?
जो सिंह के जैसा धावक हो, क्या पथ ने टोका उन्हें कभी?
तुम कर्म प्रधान की परिभाषा, तुम गीता के अनुयायी हो,
तुम सत्य अहिंसा के प्रेमी, तुम बीरबल की चतुरायी हो।
तुम चीर के हृदय चुनौती का, परचम एक दिन लाहराओगे
बस मानवता पथ पर चले चलो, प्रत्याशा सब सच हो जाएंगे।
