पृथ्वी अपना परिवार
पृथ्वी अपना परिवार
नीली छतरी अंबर की
धरती सबका आधार है
धानी चूनर पहनी इसने
फूलों से श्रृंगार है
मैं हूं तेरा तू भी मेरा
सारी दुनिया से प्यार है
सबका घर है पृथ्वी
फिर कैसी तक़रार है
जात धर्म सब बने यहीं पर
ईश्वर सबका एक है
पूजो रूप अनेकों में पर
मानवता से न इनकार है
सीमायें खींची हैं हमने
बांटा यह संसार है
दिल को बांट सके न कोई
पृथ्वी अपना परिवार है