प्रथम पुण्यतिथि पर नानी माँ को
प्रथम पुण्यतिथि पर नानी माँ को
आपने धरा से लेकर विदाई,
परमपिता की शरणागति पाई.
आज इस बात को पूरा एक बरस हुआ नानी माँ,
लेकिन इस बात को मानने में आई बड़ी कठिनाई,
कि हम सबके बीच से आपनेे ले ली है विदाई.
दिन बितने के साथ यह बात समझ में आई,
देह त्याग कर आपने इस जीवन के कष्टों से है मुक्ति पाई.
सारा जीवन संघर्ष किया अब जाकर सुकून की नींद है आई,
इतनी गहरी नींद में सोई,
अब मेरी पुकार न देगी सुनाई.
न ही मुझको दोगी दिखाई,
इसमें भी नहीं कोई बुराई.
आंखें मुंदीं मुख न मोड़ना,
बच्चों को न अकेला छोड़ना.
अपने आशिष से सदा हमें अभिसिंचित रखना,
जहाँ कहीं हो सुख से रहना.
अब नहीं हो दुख को सहना,
हम सबकी बस यही है कामना।