प्रश्न चिन्ह
प्रश्न चिन्ह
जहां हित की बात न होती हो,
और मानवता जब सोती हो !
जब अंधेरा छटने का नाम न ले,
और कोई विवेक से काम न ले !
ऐ मेरे अंतर्मन की चेतना
तुम्हें अपने सोए तर्क को
जगाना होगा..
उजली भोर लाने के लिये
कहीं न कहीं
एक प्रश्न चिन्ह लगाना होगा !
जहां बचपन भी हो डरा डरा,
और यौवन भी हो लुटा लुटा !
जहां शोषण भी हो पढ़ा लिखा,
हर पल हर क्षण हो घुटा घुटा !
ऐ मेरे अंतर्मन की चेतना
तुम्हें अपना स्वर मुखर करना होगा..
क्रान्तिकारी विचारों का
नन्हा दीप सही,
प्रखर करना होगा !
जब मान सम्मान की बात न हो,
सत्य की कोई बिसात न हो!
जब अन्याय ही फूले फले,
और न्याय बैठा तिल तिल जले !
ऐ मेरे अंतर्मन की चेतना
तुम्हें सच का बिगुल बजाना होगा
संकुचित मानसिकता से
उबारने के लिये
कठिन ही सही,
पर जन जन को चेताना होगा !
आगे कदम बढ़ाना होगा !