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N.ksahu0007 @writer

Inspirational

4  

N.ksahu0007 @writer

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प्रकृति

प्रकृति

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सुंदर आच्छादित मन को हर्षाता

मंत्रमुग्ध करे प्रकृति का स्वरूप

अरुणोदय हुई तो खिली कलियां

और पवन, जल–धारा बहे समरूप

सुंदर बड़ा धरा की छटा अरु स्वरूप

वसुंधरा की माटी देती कनक अरूप

प्रकृति दोहन ना करे ना दिखे कुरूप

मां है इसे चाहो अपने प्राण–स्वरूप

अनुपम  सौंदर्य  का  श्रृंगार लिए

रंगों भरा मौसम आई है बहार लिए

सूरज ,धरा ,आकाश,नीर और चन्द्र

बैठी रहे सदा नई–नई उपहार लिए

समझना होगा जीवन का सही रूप

एक है पर्वत,झरने,एक है मिट्टी एक

एक है आसमाँ एक है चंद एक अरु

ये समस्त मिलकर ही बना ब्रम्हरूप।


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