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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Abstract

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Abstract

" प्रियतम का साथ "

" प्रियतम का साथ "

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हमारे प्रियतम

भी तो नहीं

आ पाए !

शायद कहीं

लॉक डाउन

के शिकार

तो ना हो गए !!

होली में कहकर

गए थे

बस यूँ गए यूँ आये !

फैक्ट्री की

नौकरी ठहरी

जब मन किया

चले आये !!

उन्होंने मेरे कानों

में कहा था

जाते -जाते !

सौगात बहुत लायेंगे

आते आते !!

सपने तो सपने हैं

हम सब दिन

देखा करते थे !

सुनी -सुनी रातों में

हम उनसे बातें

करते थे !!

अचानक हमारी

उनसे

मोबाइल

पर बातें हुईं !

जो शंका थी

वही बातें हुईं !!

लॉक डाउन के

कहरों ने

उनके कामों को

बंद किया !

बंद हुई

फैक्टरियां सारी

सड़क पे लाके

छोड़ दिया !!

हम आज तलक

उनकी राहें

निहार रहें !

आजायें प्रियतम

केवल मेरे ही

साथ रहें !!





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