परिवर्तन और पर्यावरण
परिवर्तन और पर्यावरण
संसार में परिवर्तन है एक शाश्वत सत्य।
प्रकृति में यह चक्र चलता रहता सतत् और नित्य
सकारात्मक परिवर्तन का है अपना महत्त्व,
परिवर्तन का नए रूप में कोई भी अवतरण,
असर प्रकृति पर डालता जिससे प्रभावित होता मौजूदा पर्यावरण।
परहित में सकारात्मक बदलाव का विचार,
आदि काल से करता रहा है जगत का उद्धार।
"कोरोना संकट" के इस काल में टी वी पर देखा शुभ समाचार,
"साड़ी-गाड़ी" की सीमा तय कर, मिटाएं दिखावे की दीवार,
आटोमोबाइल कंपनियां कर रहीं वेण्टिलेटर तैयार।
पेट्रोलियम निगलने वाली गाड़ियों की न दरकार,
गाड़ियों का धुआं कर रहा था प्रकृति को बीमार,
क्षिति-जल-पावक-गगन-समीर में असंतुलन होता था लगातार,
कुविचार और घातक तकनीक का अब करेंगे बहिष्कार,
करके सकारात्मक बदलाव ध्यान में रखकर हृदय में सुविचार।
सम्पूर्ण वसुधा है जड़-चेतन से मिल बना एक ही परिवार,
प्रकृति के संरक्षण हेतु हमें प्रयासरत रहना है लगातार
सब संसाधन, प्रकृति और पर्यावरण परस्पर पूरक व इक दूजे का आधार
दसों दिशाओं में हमने है फैलाना सिर्फ प्यार-प्यार
पूरी तरह निस्वार्थ और असीम ,सबको प्यार ही प्यार।
