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Suresh Sachan Patel

Abstract

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Suresh Sachan Patel

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परिवार

परिवार

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जहाँ हर रोज बहता है, समंदर दिल की खुशियों का।

सुंदरता फैली हो जहाँ पर, फूलों की कलियों का।


आती हों आवाजे जहाँ, दादा दादी की कहानी की।

सुनते हो जहाँ हर दिन, कहानी राजा रानी की।

 जहाँ बच्चों के सपनों में, फेरा लगता हो पारियों का।

जहाँ हर रोज बहता है, समंदर दिल की खुशियों का।


खिले दो फूल हों आॅ॑गन में, महकते हों चहकते हों।

जहाँ ममता का दरिया हो, जहाँ बच्चे मचलते हों।

 जहाँ बहता प्रेम का दरिया, है इतिहास सदियों का।

 जहाँ हर रोज बहता है, समंदर दिल की खुशियों का।


जहाँ हर रिश्ते मुकंबल हों, नहीं मतभेद हो मन में।

खुशियों की चाॅ॑दनी फैली, रहती हो जहाँ हर जन में।

जहाँ फैला हो उजाला खूब, प्यार की रश्मियों का।

जहाँ हर रोज बहता है, समंदर दिल की खुशियों का।


जहाँ हो एकता विश्वास, खुशियों का खजाना हो।

जहाँ होता सम्मान रिश्तों का, द्वेष का न ठिकाना हो।

जहाँ नहीं कुछ भेद होता है, अपने और परायों का।

जहाँ हर रोज बहता है, समंदर दिल की खुशियों का।


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