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मिली साहा

Abstract

4.8  

मिली साहा

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परिवार

परिवार

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403


अपना सा लगे जमीं आसमां अपना सा लगे समस्त संसार,

परिवार है एक ऐसी नींव जिससे रिश्तों को मिलता आधार,

आसान हो जाती हैं ज़िन्दगी की राहें और सफ़र भी सुहाना,

ख़ूबसूरत लगता हर एक लम्हा, जब साथ रहता है परिवार।


आदर्शों के पुष्प की खुशबू जहांँ और पनपते जहांँ संस्कार,

परिवार है जीवन की पाठशाला, जहांँ सीखते हम व्यवहार,

बेझिझक मन की बात कह देना, एक दूजे की फ़िक्र करना,

बोली जाती है जहांँ प्रेम की भाषा, वही तो होता है परिवार।


गहन अन्धकार में प्रकाश की वो झिलमिल किरण परिवार,

जो गिरा देती है हमारे जीवन की, नाउम्मीदी की हर दीवार,

परिवार से बढ़कर है कोई कामयाबी नहीं, कोई दौलत नहीं,

ज़िन्दगी के हर दर्द ओ ग़म में, संजीवनी सम होता परिवार।


जीवन के घने कोहरे में, उम्मीद की एक मीठी धूप परिवार,

रंग-बिरंगे पुष्पों से सजा एक खूबसूरत उद्यान रूप परिवार,

इस जहान में एक छत के नीचे एक प्यारा सा है जन्नत यही,

जहांँ एक दूजे के साथ हर लम्हा है खास हर लम्हा त्यौहार।


खुशनसीब है वो इस जहांँ में, जिसके पास है एक परिवार,

पल दो पल की इस ज़िन्दगी में, हमारी खुशियों का है सार,

सफ़र तो कट जाएगा ये अकेले भी पर जिया नहीं जाएगा,

हर लम्हा महसूस किया जाता है, जब साथ रहता परिवार।


खुशियों की छत हो, विश्वास और अपनेपन की हो दीवार,

प्रेम हो रिश्तो में पूर्ण, थोड़ी नोक झोंक और थोड़ी तकरार,

डोर हो इतनी मज़बूत, आजमाइश की जहांँ गुंजाइश न हो,

बड़ों को सम्मान,छोटो को मिले प्यार जहाँ वही है परिवार।


दादा-दादी चाचा चाची बुआ हर रिश्ते की पहचान परिवार,

भाई -बहन की नोक झोंक, है माता-पिता का मान परिवार,

कभी प्यार, कभी डांँट है, कभी समझौता तो कभी झुकाव,

ऐसे ही कितने खट्टे मीठे स्वादों का संगम होता है परिवार।


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