परिवार
परिवार
जिंदगी तेज़ रफ्तार से भाग रही है,
परिवार एक ठहराव है माँगता,
पैसे से हर चीज मिल जाएगी तुझे,
पर रिश्ता सिर्फ तुझसे
प्यार के कुछ क्षण की आस रखता।
मैं और मेरा नहीं बल्कि
हम और हमारा से बनता है परिवार
रिश्तों की नाज़ुक सही
पर अटूट माला है परिवार।
सालों लग जाते हैं,
रिश्ते निभाने और संभालने को,
एक ही ग़लती काफी है,
खुश हाल परिवार उजाड़ने को।
जब भी वक़्त पड़े मेरे भाई,
जब तुझे करना पड़े कोई समझौता,
परिवार को आगे रखना मेरे भाई,
उससे जरूरी दुनिया में
और कुछ भी नहीं होता।
