परिवार/क्षणिका
परिवार/क्षणिका


टूटते बिखरते
परिवार को देखकर
उनके मन में
गहरा आक्रोश है...
उनका दो टूक
मानना है
इसमें
"विकास की हवस" का
बड़ा दोष है...
टूटते बिखरते
परिवार को देखकर
उनके मन में
गहरा आक्रोश है...
उनका दो टूक
मानना है
इसमें
"विकास की हवस" का
बड़ा दोष है...