परिश्रमी श्रमिक
परिश्रमी श्रमिक
मेहनती मज़दूर के बिना हो नहीं
सकते हैं दिनोंदिन काम,
उद्योगों के प्रतिदिन के कार्यकलाप
करवाना है कर्मचारियों का काम।
कामगार संगोष्ठियों से विद्यमान हैं व्यापारिक
व्यावसायिक औद्योगिक प्रतिष्ठान,
परिश्रमों के परिश्रमी श्रमिकों के विश्राम
रहित श्रम को देना होगा समुचित सम्मान।
श्रमजीवियों के मलिन हाथों से मिल रहा है
अपार अनवरत अलौकिक शक्ति,
अनुपयुक्त अल्पवैतनिक के कठिन शारीरिक
श्रम के प्रति रखना है उपयुक्त अनुरक्ति।
बहुत जटिल कुटिल विषम परिवेश
में रहते हैं श्रमिक,
उनके रक्त परिणत पसीना पसेव को निश्चित
रूप से देना होगा समयोचित पारिश्रमिक।
जब भी उपयोग करें शिल्प
द्वारा निर्मित प्रस्तुत वस्तु,
अवश्य स्मरण करें हर
श्रमिक के कष्ट क्लेश की विषयवस्तु।
घृणा कभी न करें देखकर
श्रमिकों के मैले हाथ,
कई अनगिनत अज्ञात
आघात झेले होंगे उनके हाथ।
हर परिश्रमी श्रमिक को
सदा देना होगा आदर,
उनके अस्तित्व उपस्थिति
से मिल रहा है हमारे काम को सादर।