प्रीत
प्रीत
मिलकर चलो ख़ुशियाँ फैलाएँगे
प्रीत की डोरी से जग को बाँधेंगे
हिन्दू, मुस्लिम, सिख्य ईसाई, पारसी
आपस में सभी हैं भाई भाई
फूलों की एक माला में पिरोयेंगे
स्नेह प्रीत की डोरी से जग को बाँधेंगे।
रोगी,अनाथ,दिव्यांग और वृद्ध सारे
माता पिता बड़े बुजुर्ग हमारे
प्रेम भाव से इनकी हम सेवा करेंगे
जो भी होगी पीड़ा इनकी उसे मिटाएँगे
स्नेह प्रीत की डोरी से जग को बाँधेंगे।
दया दान करुणा परोपकार
मधुरता, धैर्यता और मानवता
ज्ञान का दीप मन मन में जगाएँगे
छल, कपट, चोरी, बेईमानी
सभी कुविचारों को हृदय से मिटाएंगे
प्रीत की डोरी से जग को बाँधेगे।
जात-पात का भेद हटाकर
राग द्वेष को हृदय से मिटाकर
विभिन्न फूलों से सजा यह उपवन
सुख शांति समृद्धि की सुगंध फैलाएंगे
स्नेह प्रीत की डोरी से जग को बाँधेंगे।
वाणी
वाणी मीठी बोलिए,
जैसे कोयल बोल।
खुशी हृदय देती चले,
कानों में मधु घोल।।
कानों में मधु घोल,
सुनकर के बोल तेरे।
हृदय हो जाय शांत,
मन से तम हटे मेरे।।
भर शब्द से प्रकाश,
बने जीवन कल्याणी।
"जया" बताये बात,
सोच कर बोले वाणी।।
विषय--दाता
कुंडलियाँ
दाता होता है वही,
मन से हो धनवान।।
दौलत मिट्टी जानिए,
ना बाँटे इंसान।।
ना बाँटे इंसान,
जोड़-जोड़ रखे माया।
आती ना है काम,
छोड़ देती सब काया।।
धन ना जाता साथ,
क्यों ना सब को देता।
"जया" कहे कर दान,
सहयोग कर बन दाता।।
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छवि चिंतन
दोहे
छवि चिंतन सब कीजिए,
कर्मो से पहचान।
जैसा करता नर यहाँ,
वैसी बनती शान।।
उत्तम विचार से मिले,
दुनिया में सम्मान।
चिन्तन कामों का करें,
दुर्गुण से है हान।।
अच्छी छवि मन में रखें,
रोज पढ़े सुविचार।
चिन्तन से होते यहाँ,
सपने सब साकार।।
