परी घर आई
परी घर आई
रविवार का दिन, उन्हें तब दर्द उठा
ले जाने हॉस्पिटल को वो मर्द उठा
ठीक समझे आप, कि जच्चा घर जाना
धीरे चलानी गाड़ी, पर समय पर जाना
बस थोड़ी ही देर लगी, खबर आई सुखद
परी घर आई है उसके, मधुर ये सुना शबद
अब जीवन बदला, घर में नया एक लोक सजा
कहीं लगा एक झूला, कहीं भालू का ढोल बजा
उसने भी गाना सीखा, सीखी लोरी गाने को
नन्ही परी सोने चली, लगा उसको सुनाने को
फिर ज़िन्दगी चली जल्दी, पढ़ी वो अव्वल नंबर
शादी को दूल्हा मिल गया, सपनों सा सुन्दर
हर घर ऐसा ही बन जाता है स्वप्न सा परीलोक
मूरख हैं वो लोग जो बेटी के जन्म पे मनाते शोक
ख्याल करती हैं बेटियां, बेटों से ज़्यादा बढ़चढ़कर
अक्सर माँ बाप रह रहे आजकल बेटी के घर पर
ऐसी ही एक परी कथा, सच बने सबके जीवन का
बेटी बचाएँ बेटी पढ़ायें, सवाल सबके ये मनन का।