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Ghanshyam Sharma

Abstract

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Ghanshyam Sharma

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प्रेरक-बादल

प्रेरक-बादल

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मैं आवारा बादल हूँ, मैं हूँ आवारा बादल

आज मैं निकला हूँ बरसाने, मीठा-मीठा जल।।


मैं आवारा बादल हूँ, मैं हूँ आवारा बादल।।


माँ मेरी सुन बात मेरी, मैं कोख ना तेरी लजाऊँगा

नेत्र लबालब नीर-नीरधि, गीत खुशी के ही गाऊँगा

दर्द चीर दे छाती चाहे, होंठ हँसें हर पल।।


मैं आवारा बादल हूँ, मैं हूँ आवारा बादल ।।


जहाँ पे सारी धरती सूखी, हरियाली फैलानी है

जहाँ मरसिए गाती दुनिया, विरुदावली गानी है

शक्ति उनमें भर दूँगा मैं, जो हो गये निर्बल ।।


मैं आवारा बादल हूँ, मैं हूँ आवारा बादल।।


माना आज अकेला हूँ, पर हार नहीं मानूंँगा मैं

पाने अतुल-अमित-बल-धीरज, खाक भले छानूँगा मैं

सदा विजयी रहने का 'वर वो', ना होगा निष्फल ।।


मैं आवारा बादल हूंँ, मैं हूँ आवारा बादल।।


आज मैं निकला हूँ बरसाने, मीठा-मीठा जल।।

मैं आवारा बादल हूंँ, मैं हूँ आवारा बादल।।


आज मैं निकला हूँ बरसाने, मीठा-मीठा जल।।

मैं आवारा बादल, मैं हूँ आवारा बादल...


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