STORYMIRROR

Juhi Grover

Inspirational

4  

Juhi Grover

Inspirational

प्रेम

प्रेम

1 min
235


प्रेम क्या है? समझते हो तुम? 

वासना से लिप्त हो कर क्या समझ पाओगे तुम? 

तुम्हारी नजरों में एक स्त्री का यही कर्त्तव्य है

और तुम हो पुरुष अपने अह्म में जीने वाले,

अपनी इच्छाओं की पूर्ति बखूबी चाहते हो।


मग़र स्त्री क्या चाहती है? 

तुम्हारा प्रेम, सुरक्षा और भी बहुत कुछ, 

पैसों की भूखी हो सकती है, 

वासना से लिप्त भी हो सकती है,

मग़र केवल एक स्त्री, पत्नी नहीं।


पति भी वही बन पायेगा जो समझ पाए

वासना से परे पत्नी की भावनाओं को, 

उसकी ख़ामोशी, उसकी सिहरन को भी, 

उसके हर एहसास को जो वो चाहती है कि वो समझे, 

उसके हर दर्द में वो साथ हो और आँसुओं की कीमत जाने।


पति-पत्नी वहाँ केवल स्त्री-पुरुष ही रह जाएंगे, 

जहाँ एहसास गौण हो जाएँ, 

चीखते दर्द की ध्वनि मौन हो जाए, 

आँसू सूखते ही चले जाएँ

और ख़ामोशी अन्दर ही शोर मचाने लगे।

प्रेम यही पर दम तोड़ देता है।


प्रेम क्या है? समझो, 

ख़ामोशियों को समझना ज़रूरी है।

ऐसा न हो कि ज़िन्दगी का अर्थ ही खत्म हो जाए, 

कहीं तुम्हारा हृदय शमशान न हो जाए, 

दूसरे की वेदना को प्राथमिकता देना ही प्रेम है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational