STORYMIRROR

Dr.R.N.SHEELA KUMAR

Drama

3  

Dr.R.N.SHEELA KUMAR

Drama

प्रेम

प्रेम

1 min
216

बचपन मे माँ का प्यार

बहुत बढ़िया समझते हैं


किशोर अवस्था में

एक तरह से प्यार होता है

वो तो तितली की जैसे


जब यौवन आए प्रेम तो

ठीक से देख कर ही आते हैं

ये भी आधुनिक युवती ने

बहुत होशियार से


अपने सखा या सखी

तो ढूंढ लेते हैं

लेकिन हर अवस्था

में प्रेम ही रहता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama