प्रेम
प्रेम
बचपन मे माँ का प्यार
बहुत बढ़िया समझते हैं
किशोर अवस्था में
एक तरह से प्यार होता है
वो तो तितली की जैसे
जब यौवन आए प्रेम तो
ठीक से देख कर ही आते हैं
ये भी आधुनिक युवती ने
बहुत होशियार से
अपने सखा या सखी
तो ढूंढ लेते हैं
लेकिन हर अवस्था
में प्रेम ही रहता है।
