प्रेम
प्रेम
तेरी आंखें बयान करती है मेरे लिए प्रेम...
ना जाने क्यों तुम बता नहीं पाते...
बात तो करते हो, पर पहेलींयों में ज्यादा...
और मैं पहेलियां सुलझा नहीं पाता।
और कितने दिन ये सिलसिला चलेगा...
भावनाओं की लुकाछिपी कब तक चलेगी?...
शृंगार सिर्फ तेरे लिए करती हूं...
तुम्हारे पास एक पल की फुर्सत नहीं...।
कहना तो सब चाहते हो,मन की बातें...
पता नहीं क्यों तेरी नज़र मेरी नज़र से नहीं मिलती...
जानती हूं मैं, पसंद करते हो तुम मुझे...
हैरान हूं के क्यों तुम कह नहीं पाते।
कितनी कविताएं लिखी हैं तुमने मुझ पर...
एक भी कविता मुझे नहीं सुनाते...
एक बार अपने मन की बात कह देना तुम...
मुझे अब इंतजार नहीं करना।।