प्रेम
प्रेम
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प्रेम एक ऐसी अनुभूती जो सैलाब कोमल भावनाओं का
उमढ़ती रहती निरंतर मनमें ऐसी मनोकामनाओं का
प्रेम हर रिश्तें की धरोहर सह जाती हर दुःख का खेल
प्रेम से ही पा गयें राधाकृष्ण परम् सुख का निर्मल मेल
प्रेम की परिभाषा ऐसी सुख बाँटना ही सिखलाती हैं
विना मोह के अपने प्रेमी को बस प्रसन्न देखना चाहती हैं
प्रेम लिखना सिखाता हैं प्रेम से माफी माँगना सिखलाता है
प्रेम रस का अम्रुत पान करें जो उसमें अहम् न कभी झलकाता है.