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deepak gupta

Inspirational

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deepak gupta

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प्रेम की पराकाष्ठा

प्रेम की पराकाष्ठा

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देखो तुम मन की आंखों से

समझो प्रेम की भाषा,

जिस साथी से जोड़ा था

जीवन भर का नाता,


कितने दूर व कितने पास

अब नहीं रहा मधुमास,

जोड़ो फिर से मन से मन को

तभी बुझेगी प्यास,


बनो न इतने निष्ठुर अब

तुम झांको अपनी ओर,

मिल जाएंगे उत्तर सारे

बांधो प्रेम की डोर ,


थोड़ा धीरज थोड़ा संयम

बोलो मीठे बोल ,

धीरे धीरे लौट आएगा,

वही नया संसार


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