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Amit Kumar

Abstract

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Amit Kumar

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प्रेम की होली

प्रेम की होली

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तेरे रंग में रंग जाएंगे

तुम बिन कहाँ जाएंगे

तुमने बुलाया नही 

फिर भी चले आये है


तुम बुलाओगे तो 

सर के बल दौड़े-दौड़े आएंगे

कुछ रंग प्रेम का है

कुछ रंग कुदरत का

कुछ रंग मासूमियत का है


कुछ रंग हैवानियत का भी है

कुछ रंग ईमानदारी का है

कुछ रंग बेरोज़गारी का है

कुछ रंग धर्म का है


कुछ रंग भाषाओं का है

कुछ रंग मज़हब का है

कुछ रंग तहज़ीब का है

कुछ रंग इबादत का है


कुछ रंग शहादत का है

कुछ रंग परीक्षाओं का है

कुछ रंग समीक्षाओं का है

कुछ रंग अभिलाषाओं का है


कुछ रंग जिजीविषाओं का है

कुछ रंग पहाड़ों का है

कुछ रंग नदियों का है

कुछ रंग झरनों का है


कुछ रंग अक्षरों का है

कुछ रंग साक्षरों का है

कुछ रंग अदावत का है

कुछ रंग इस इंसानियत का है


कुछ रंग इनायत का है

कुछ रंग शरारत का है

कुछ शर्म-ओ-हया का रंग है

कुछ तेरे आंखों के काजल का रंग है


कुछ तेरी ज़ुल्फों की घटाओं का रंग है

कुछ तेरे गालों की रंगत का रंग है

कुछ तेरे होठों की ज़ुम्बिश का रंग है


कुछ रंग तेरी सुराहीदार गर्दन का है

कुछ रंग तेरी पतली कमर के

बलखाते बलों का रंग है


कुछ रंग तेरी सोहबत का रंग है

कुछ तेरी संगत की रंगत का संग है

यह रंग-बिरंगी खुशियां

हमेशा इंद्रधनुष के रंगों सी

चमकती दमकती रहे


प्रेम और सौहार्द्र की यह होली

तेरे मेरे संग -संग

हर गली हर नुक्कड़

हर घर हर चौबारे पर


प्रेम के गुलाल से

रंगत उड़ाती हुई

रंगों की रंगीनियों का

गुलाल उड़ाती रहे

मुबारक़ हो तुमको


मुबारक़ हो तुम्हारे चाहनेवालों को

मुबारक़ हो हर उस एक शख़्स को

जो तुमसे राब्ता रखता है

प्यार से भर जाए

सबकी झोली

आपको मुबारक़ हो

प्रेम की होली।


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