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Anita Sharma

Abstract Drama Romance

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Anita Sharma

Abstract Drama Romance

प्रेम-जोग

प्रेम-जोग

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साल दर साल तुम तक पहुँचती

मेरे दिल की आवाज़

कभी तुमको मेरी कमी महसूस न होने देगी

क्यूँकि ये लफ़्ज़ों से बयां नहीं

ये करीबी है अपने मौन संवादों की


हमारे अंतस में दर्ज़ एक दूसरे के लिए

मौजूद अनकहे जज़्बात हैं

जिसे सिर्फ हम दोनों ही सुन सकते हैं

उम्र के हर पड़ाव को

हमने जिस सहजता से जिया है


उसके लिए शब्द भी निशब्द हैं

तभी पहली प्रीत की पाती

साठ के बरस में आकर लिख पाए थे तुम

कहूँ तो जिसको पाते ही झंकृत हो उठे थे मेरे

अंतर्मन के सभी तार


सच में मुझे याद है हाँ याद है मुझे

पहला प्रेम पत्र जिसको हाथ में लेते ही

हृदय में कम्पन हुआ था

वही शब्द नज़र आये,जो

नज़रों में पढ़ा करती थी


तुमने हूबहू मड दिए थे उस कोरे कागज़ पर

तो ज़ाहिर है मेरा शर्माना

साठ बरस का क्या

उम्र के हर पड़ाव पर तुम्हारा प्रेम मुझको

यूँ ही जवाँ रखेगा

जैसे पहली बार तुमको

मैंने नज़र भर के देखा था।


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