प्रेम और तपस्या
प्रेम और तपस्या
प्रेम जीवन का बने आधार
दुर्भावना का करों आज ही त्याग
प्यार ही सर्वोत्तम होती औषधि
जिसनें जीता जग संसार।।
तपस्या होती बडी़ कठिन पर
मुश्किल न होती बडी़ आसान
घृणा को यही खत्म है करता
दुश्मन भी बनता अपना यार।।
कहने वाले कहते रहते
कभी- कभी बातें होती बड़ी बेकार
अपने काम में मस्त रहो सदा
कर्म से बडी़ न पूजा यार।।