प्रदेश
प्रदेश
प्रदेश में मुझे याद आये
अपना जमीं आसमान
मुद्दत हुई देखे हुए
अपनी गलियाॅं अपना मकान
हर सुबह सवेर
काम होते हैं ढेर
धोने की चिंता नहाने की चिंता
वक्त पे काम पर जाने की चिंता
खुद ही पकाते है
खुद ही खाते हैं
बहुत याद आते हैं
माँ तेरे हाथों के पकवान
प्रदेस में मुझे याद आये
अपना जमीं आसमान
ना फुर्सत के पल
ना सुख की घड़ी
जिंदगी यहाँ है
दौड़ धूप भरी
कभी फुर्सत के पल ढूँढता है मन
फुर्सत मिले तो डसे अकेलापन
कैसे जीते हैं अपनो से दूर
बडा़ मुश्किल है करना बयान
प्रदेस में मुझे याद आये
अपना जमीं आसमान
मुद्दत हुई देखे हुये
अपनी गलियाॅं अपना मकान।
