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Kunda Shamkuwar

Abstract

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Kunda Shamkuwar

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पर्दे और आजादी

पर्दे और आजादी

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पर्दें भी तरह तरह के होते हैं

कुछ दरवाजों से गले लगकर मुस्कुराते हैं 

तो कुछ खिड़कियों पर झूलतें रहते हैं


पर्दें बड़े ही बारीकी से निगाह रखते हैं

वे 'अपने घर' की उदासी को भी भाँप लेते हैं 

और चुपचाप लटकें रहते हैं दरवाजों पर


दरवाजों और खिड़कियों पर ही पर्दें नही होते

कभी पर्दानशीं बन निगाहों से ही बात करते हैं


पर्दों के बारे में और क्या कहूँ?

पर्दे औरतों पर मेहरबाँ होकर

उनको अक्सर दायरों में बाँधते हैं

उनकी आजादी दायरें में सिमट जाती हैं


आजादी की कीमत का अंदाजा पर्दानशीं

खूब जानती हैं

इसलिए पर्दें आजकल दरवाजों के उस पार से मुस्कुराते रहते हैं..…


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