प्रभु- नाम
प्रभु- नाम
ना कुछ जग में मेरा, ना कुछ जग में तेरा।
चार दिन की चाँदनी, चिड़िया रैन बसेरा।।
श्रद्धा भाव से निशदिन, नाम ले उस प्रभु का।
अर्चन, वंदन ना कर सके, कैसे हो मन में सवेरा।।
मानुष तन पाए के ,मत इठला तू इतना।
तू अमानत है किसी और की, छिन जाएगा सब कुछ तेरा।।
बुद्धि विवेक से काम ले, समय बचा है थोड़ा ।
फिर पीछे पछतायेगा ,जब यमदूतों का होगा डेरा।।
ना कुछ लाया, ना ले जाएगा ,क्यों करता मेरा- मेरा।
"प्रभु नाम" तू ले ले "नीरज", जो रहेगा सिर्फ तेरा।।
