STORYMIRROR

Neeraj pal

Inspirational

4  

Neeraj pal

Inspirational

प्रार्थना

प्रार्थना

1 min
333

हे मात -पिता ! नित मैंने तेरे ही चरणों में शीश झुकाया।

 जन्म दिया इस धरती पर तुमने, सदा हृदय से तुमने लगाया।।


 जीवन की कठिन घड़ियों में, हर पल मुझको धीर बँधाया।

 मैं अज्ञानी यह समझ न पाया, पाप- कर्मों में ही समय गंवाया।।


 माँ की ममता क्या होती है, जब तक तुम थीं समझ न पाया।

 पितृ छाया में निडर होकर, कथनी- करनी सुधार न पाया।।


 बिन मात- पिता जीवन है सूना, सेवा- भक्ति कुछ कर न पाया।

 चुका न सकता दूध का कर्जा, कर्जदार बन कर समय बिताया।।


 अंधकार मय जब बना ये जीवन, तुमने ही प्रकाश दिखलाया। 

मैं मूढ़ -मति करता मन-मानी तुमने तो अपना कर्तव्य निभाया।।


 हुआ अनाथ तब जाना मैंने, तुम बिन अधूरी है यह काया।

 श्रवण कुमार सपूत बन बैठे, जिसने अपना कर्ज चुकाया ।।


बड़भागी हैं वे लोग, जिन पर मात-पिता की होती छाया।

"नीरज" करता कर-बद्ध प्रार्थना, इनको ही हृदय में है बसाया।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational