पर हम क्या कहे और कैसे कहे!
पर हम क्या कहे और कैसे कहे!
पर हम क्या कहे और कैसे कहे!
सवाल उठेंगे भी और जवाब मिलेंगे भी,
हिचकिचाहट होगी भी और तस्सली मिलेगी भी,
कशमकश बढ़ेगी भी और उलझने सुलझेगी भी,
पर हम क्या कहे और कैसे कहे!
बेचैनी बढ़ेगी भी और शांति मिलेगी भी,
रीत बदलेगी भी और प्रीत बढ़ेगी भी,
अंधेरा घटेगा भी और उजाला छायेगा भी,
पर हम क्या कहे और कैसे कहे!
सोच बदलेगी भी और रिश्ते जुड़ेंगे भी,
ख़ुशियाँ फैलेगी भी और ठहाके लगेंगे भी,
राज खुलेंगे भी और हमराज मिलेंगे भी,
पर हम क्या कहे और कैसे कहे!
बस, कहना है फिर दिल खोल के बातें बनेगी भी!