पलाश खिले पेड़ों पर, प्रमुदित तन मन
पलाश खिले पेड़ों पर, प्रमुदित तन मन
फागुन मास तिथि पूनम की आई
बारह मास बिताकर फिर होली आई
प्रेम हर्ष उत्साह सभी के उर में,
गली गली से देखो टोली आई।
बारह मास बिताकर फिर होली आई।
रंग अबीर गुलाल उड़ रहे चहुँ दिशी
नील गगन में चमक रहा चमचम शशि
होलीयारों ने होली आज सुनाई।
बारह मास बिताकर होली आई।
पलाश खिले पेड़ों पर प्रमुदित तन मन
बच्चे बूढ़े युवा सभी खुश हुए मुदित मन
बासंती मौसम ने ली अंगड़ाई।
बारह मास बिताकर होली आई।
घर घर में गुजिया पकवान बन रहे देखो
रंग बिरंगी पिचकारी बच्चे खुश देखो
नए अन्य की पूजा करते लोग लुगाई।
बारह मास बिताकर होली आई।