पिता
पिता
पिता
नमन सर्वदा
आरोग्य रहो तुम
सहृदय मनोरथ
मेरी
पिता
सम्पूर्ण संसार
विशाल सहृदय करुणानिधि
अथक परिश्रमी
जीवनदायी
पिता
समाजसेवी, परोपकारी
क्षण-क्षण प्रतिक्षण
बांटें खुशियां
अथाह
पिता
मित्र सा
अनुपम भव्य स्वरूप
गुरू सम
ज्ञानाशीष
पिता
अनगिनत ख़्वाब
बुनते हमारे लिए
करते परिपूर्ण
नि: स्वार्थ
पिता
से सम्पूर्ण
जगत निकेतन द्वार
संग माता
परिपूर्ण
दरख़्त
दरख़्त भटककर
संजोए खुशियां हजार
अतृप्त हम
क्यूं।
सायली छन्द मे
शब्द व्यवस्था क्रम :-- १२३२१