पिता वह है !
पिता वह है !
पिता वह है जो
भावुकता के भाव को भीतर छिपा
कठोर भाव को अपनाता है ...
ठीक एक नारियल की तरह भीतर से पानी सा नरम
पर बाहर से बहुत कठोर नारियल के रेशे की तरह ..
ताकि वह संरक्षण दे सके परिवार को
बाहरी समस्याओं से ...
वह अपने नियम और अनुशासन से परिवार की
जिम्मेदारी उठाता है ...
अपने लिए नहीं वरन वह ...
सब सदस्यों के हित के लिए अपना समस्त सुख
भुलाता है ...
वह बड़ी से बड़ी मुश्किलों में अपना कर्त्तव्य निभाता हैवह !
वह घर की छत की तरह बारिश में भीगते हुए भी ....
सूर्य किरणों के ताप से जलते हुए भी ....
आँधी तूफान को झेलते हुए भी ...अपना कर्म निष्ठा से करता है ..
ताकि परिवार के सदस्य पूरी तरह सुरक्षित रहें ....
यूँ ही नहीं परिवार में मुखिया का दर्जा पाता है ...
वह प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में अपना सर्वस्व ...अपनी
सेवाओं से घर का आधार मजबूत बनाता है ...
तभी तो वह एक प्यारे घर परिवार का आधार स्तंभ
कहलाता है ....
उसके आशीर्वाद से ही बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो
पाता है ...
सच पिता के कारण ही तो परिवार में सौभाग्य आता है ।
और पिता हो तो जीवन की बगिया में बसन्त खिलखिलाता है !!