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aazam nayyar

Abstract Fantasy Children

4.2  

aazam nayyar

Abstract Fantasy Children

फूल

फूल

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मुहब्बत में यहाँ रुस्वा करे कोई 

मुझे ऐसे यहाँ देखा करे कोई 


असर ऐसा मगर हो दोस्ती का ही 

यहाँ हो वो मुझे ढूंढ़ा करे कोई 


नहीं उसके गया हूँ घर मगर मैं फ़िर 

मुझी से ही हंसी पर्दा करे कोई


दिया है फूल जिसको वफ़ा का ही 

वफ़ा में रोज़ अब धोखा करे कोई 


अकेला था बहुत मैं अंजुमन में ही 

न मेरे रु ब रु चेहरा करे कोई


वहां जाकर नगर उसके मिलेगा क्या 

 न देखे रास्ता तेरा करे कोई 


मिले ऐसा हंसी वो हम सफ़र आज़म 

मुहब्बत का मगर वादा करे कोई।


आज़म नैय्यर 


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