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Gagandeep Singh Bharara

Inspirational

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Gagandeep Singh Bharara

Inspirational

फ़ुरसत

फ़ुरसत

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चलो, फ़ुरसत के कुछ लम्हें ढूंढें,

रोशनी की कुछ किरने ढूंढें,

बातें, जो की नहीं बरसों से,

उनमें से कुछ यादें ढूंढें।


जो बिछड़ गये,

उनकी यादों के कुछ,

अंश ही खोजें,

हो सके तो अनमोल पलों, से,

उनके कुछ खाबों को ढूंढें।


वो घण्टों ख़ाली, बैठे रहना,

खयालों में ना जाने किस के खोना,

फ़िक्र नहीं थी जब लम्हों की।

घड़ी की रफ्तार के पीछे,

आओ कुछ फ़ुरसत ही ढूंढें।


चेहचाहती चिड़ियों की गूंजें,

वो चलती पवन की खुशबू सूंघें,

बीतें लम्हें ही नहीं, आओ,

अपने आज को ढूंढें।


खुशियों के कुछ लम्हें ढूंढें,

रोज़ की टेंशन को पीछे छोड़ें,

असल ज़िन्दगी को तलाश के,

अपने कुछ लम्हें ही जी लें।


चलो, फ़ुरसत के कुछ लम्हें ढूंढें।

फ़ुरसत के कुछ लम्हें ही जी लें ।।



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