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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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फुरसत में सृजन

फुरसत में सृजन

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वरदान मानें प्रभु प्रदत्त हमको, 

जो मिले हैं ये फुरसत के क्षण,

उपयोग इनका कैसे करना है?

यह स्व विवेक से हम करें वरण ।


भारी पड़े न कोई भूल-भूल से भी ,

हर क्षण रखनी है ऐसी तैयारी,

सबको सुरक्षा हम तब ही दे सकेंगे,

जो सुरक्षित है जिंदगी हमारी।


लगाएं सृजन में हम हर -एक पल,

वह सृजन जो सबको हितकर हो।

कोई कुछ भी कहे तुम अडिग रहो,

तुम अविनाशी प्रभु का शुभ वर हो।


सदा सबके हित का करके चिंतन,

अपना हर कर्त्तव्य सबको निभाना है।

अधिकार सभी को मिल सकें तभी,

मिल"कोरोना को हमने हराना है।"


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