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Sheetal Raghav

Abstract Children

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Sheetal Raghav

Abstract Children

फुलझड़ी!!!

फुलझड़ी!!!

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जगमग जगमग,

त्योहारों की लड़ी,


कितनी खूबसूरत ,

लगती है,

चमचमाती फुलझड़ी,


जगमगाते दीपों की,

पावन लड़ी,

उज्ज्वलित करती,

आशा की घड़ी,


कर देती,

जीवन का,

दूर अंधेरा,


जब,

जगमग जगमग,

होती फुलझड़ी,


अखंड दीप,

प्रज्वलित,

आंगन में,


हो प्रज्वलित,

खुशियां,

और,

सौहार्द मन के,

हर कोने में, 


कोर कोर,

प्रफुल्लित भई,

जब जगमगाई,


गोलू और पिंकी की,

चमचमाती फुलझड़ी,


खंड खंड ना होने पाए,

जो हुआ रोशन दिया,

चमचमाती रहे,

हर घड़ी,

मेरे मन और मंदिर का दिया,


रहे रोशन हर वक्त,

मन में खुशियों भरी,

यह लड़ी और,

यह घड़ी मन को,

भा जाती बहुत है,


जब चलाते हैं,

गोलू और पिंकी,

चमचमाती फुलझड़ी,


आज गोलू और पिंकी,

खुश बहुत है,

हाथ लग गई जैसे लॉटरी,

जब पापा ले कर आ गए,


बाजार जा कर,

चमचमाती फुलझड़ी।।



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