फर्क नहीं किया कभी
फर्क नहीं किया कभी
आज भी तुम मेरे खयालों में मेरे विचारों में जिंदा हो,
नहीं फर्क किया तुमने कभी बेटा हो या बेटी,
एक सा स्नेह दिया तुमने हमने बहनों और भाई को,
एक सी ज़िद्द सबकी पूरी की एक सी फटकार लगाई गलती पर,
पापा मेरे तुमने हमको कभी किसी को एक थप्पड़
नहीं मारा जिंदगी में,
लाड़ प्यार से यूँ तो बिगड़ते बच्चे अपनी माँ के,
हमको तूने दिया प्यार कुछ माँ से भी ज्यादा,
माँ ने हम सबको डाँटा जब भी तुम बन गए ढाल हम सबकी,
इतनी हिम्मत ना होती थी माँ की की वो हमको डाँट सके,
जीवन की राहों पर चलते चलते तुम हमसे जुदा हो गए,
पर एक पल को भी नहीं भूले हम तुझको हर पल करते याद तुझे,
हर रोज जब भी ये आंखें खुलती है तेरे कमरे में तुझको तलाशती है,
लगता है तुम आज भी लेटे हुए हमको आवाज लगा रहे हो,
उठ जाओ मेरी लाडो सुबह हो गयी है मेरी दवा मुझको दे दो,
नहीं भूल सकते हम तुझको तेरी ये बिटिया जिसने संग गुजरे थे
तेरे संग ना जाने कितने साल।
काश इन यादों को भूल पाना होता आसान पर ये मुमकिन नहीं,
हर पल तेरी तस्वीर को निहारते है जो आज भी मेरे दिल में जिंदा है,
इस घर की दरों दीवार में तेरी यादों का एक काफिला है ।
