फोटो कॉमेंट
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इतने तो हम व्यस्त नहीं हैं, जो उनको कुछ कह ना सके !
अपने लय में नाच -नाच कर, लोगों को कुछ ना जीत सके !!
प्रेम की भाषा में लिखकर, जब कोई हमें ढाढ़स देता है !
पर उनके सांकेतिक चिन्ह, सबको विचलित कर देता है !!
इतने व्यस्त हम बन जाते हैं, उतने तो व्यस्त नहीं रहते हैं !
बड़े बुजुर्ग अपने मित्रों को ही, नजर अंदाज किया करते हैं !!
कविता बड़ी -बड़ी लिखते हैं, पुस्तकें रोज हमारी छपती हैं !
पर लोगों को आभार प्रेम से, अभिषिक्त कलम न करती है !!
जब अपने ही हमसे रूठेंगे, तो हम उनके कैसे रह पाएंगे !
विनम्रता शीलता और मधुरता, को किस उपवन में फैलाएँगे !!