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Mahavir Uttranchali

Children

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Mahavir Uttranchali

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फलवाला (बाल कवितायेँ)

फलवाला (बाल कवितायेँ)

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(1.) मैं हूँ फलवाला बच्चों

मैं हूँ फलवाला बेटा जी

 खा लो मीठे ताज़े फल

 चौबीस घण्टे महा रसीले

 खाओ हर पल ताज़े फल


(2.) सेब

दुनिया भर में उगता सेब

 सबसे प्यारा लगता सेब

 डाक्टर को तुम दूर भगाओ

 प्रतिदिन यदि इक सेव खाओ


(3.) केला

दुनिया का अजब है मेला

 हर कोई खाता है केला

 इसे खाये पथिक थकेला

 चाहे गुरू रहे या चेला


(3.) आम

पहले बोलो राम-राम

 तब खाओ रसीले आम

 पेड़ से स्वयं ही गिरता

 गर्मियों में यह पकता


(4.) अमरूद

इलाहाबादी पेड़ा अमरूद

 इसे तोड़े और खाये महमूद

 जहां भर में ये पाया जाता

 नमक रख के खाया जाता


(5.) नाशपाती

कुछ भी न करे तन की दुर्गति

 नाशपाती फल उत्तम है अति

 खाते इसको ज्ञानी ध्यानी

 दादा-दादी, नाना-नानी


(6.) जामुन

मुझमें नहीं हैं कोई अवगुन

 मैं हूँ बच्चों मीठा जामुन

 मधुमेह में हूँ अति गुणकारी

 मैंने काटी कई बीमारी


(7.) लीची

हो जाए ख़राब, मुट्ठी में यदि भिची

 खाओ छील के रसीली मीठी लीची

 चुनु जी और मुनु जी खूब इसे खायें

 फिर दोनों मधुर मधुर गीत सुनायें



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