पहली मुलाकात
पहली मुलाकात


दिल में दबी एक बात थी,
जो कह ना सके महबूब से,
वो पहली मुलाक़ात थी,
याद तो मुझे आज भी है,
उसका शर्माना,
टकटकी बांधकर नजरें मिलाना,
कुछ भी नहीं भुला हूँ मैं,
सब याद है मुझे !
पहली मुलाकात
आज भी दिल की गहराइयों को
छूती है,
रोम - रोम सिहर सा जाता है,
धड़कनें बढ़ सी जाती हैं,
कदम यूँही रुक सा जाता है,
लगता है ऐसे,
जैसे मंज़िल मिल सी गई हो,
उसका शर्माना, घबराना
नजरें चुराना
कुछ भी नहीं भुला हूँ मैं,
सब याद हैं मुझे !