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Sandeep Takhi

Romance

3  

Sandeep Takhi

Romance

दूधिया चादर

दूधिया चादर

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ऊपर भी एक नीले रंग का आँगन सा है,

उसपर शायद किसी ने कुछ दूधिया सा बिखेर दिया है,

बहुत बड़ा है वो आंगन, शायद कई मीलों तक फैला हुआ,

उसपर वो दूधिया सी चादर भी कई मीलों तक ही फैली हुई है,

लेकिन यह चादर कुछ पल ही टिकती है बस,

पल भर में योनि बदल लेती है, बेचैन है क्या?

करवटें तो इस कदर लेती है जैसे सोई न हो अरसे से कभी,

शरारत तो देखो, अपने चेहरे के भाव बदल डाले फिर से,

कभी सुस्ताने लगती है, कभी मौज में दूर दूर तक हो आए,

कभी ऐसा लगता है जैसे हर तरफ़ से खींचा गया हो उसे,

सिलवट न आने पाए कोई उसपर इस कदर कसा गया उसे,

हाय! किस तरह कसी गई, बिखर गई कपड़ों की कतरन की तरह,

हाय! शाम ही तो है, थोड़ी और शरारत करने दो,

न समेटे कोई इस तरह उसे, बड़ी अच्छी लगती है, कोई तो रोको,

देखते ही देखते, कहीं गायब हो गई, लाली सी छोड़ गई,

लाल रंग की तो न थी, बड़ी जादूगर होगी, यह मुझको मालूम न था। 

 


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