दूरी
दूरी
दर्द में सना एक पैगाम आया,
खामोशियों को ओढ़े हुए एक सैलाब आया
तेरी यादों की हवा और बातों की लहर
ख़ुशी की आहट भी है एक गुजरा हुआ पहर
इन अश्कों में है डूबी तेरी खुशियों की चाहत
मेरी जिन्दगी में है ना, सुकून और ना राहत
बिखरा मेरा आशियाँ मैं हूँ जाने कहाँ
कैसे पुकारूँ तुम्हें इस खोखली दुनिया में कहाँ
अपनी साँसों को भी तेरी मुस्कान के नाम किया
अब तो मुस्कराने से भी न ज
ाने क्यों डर सा लगता है मुझे
मेरा खो जाना तुझमें, मजाक जो लगता है तुझे
तुझे लगता है बेगैरत है मेरा ये दूर चले जाना
किसके लिए होगा आसान अपनी साँसों को भुला पाना
मेरी इस दास्ताँ को तुम आज भी समझ ना पाए
मिट जाएगी तुम्हारी तकलीफ़, किसी एक को चुन लेने की मज़बूरी
कैसे बदलोगे तुम, तुम मेरे मिट जाने की मंजिल को,
जब कम ही ना होगी ये दूरी...जब कम ही ना होगी ये दूरी!!