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Amit Kumar

Inspirational

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Amit Kumar

Inspirational

पहल

पहल

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आओ पहल करें

एक ऐसी पहल

जो सब करना चाहते हैं

लेकिन कुछ विरले ही

इसकी शुरुआत कर पाते हैं


करम करना तो

हमारा परम् धर्म है

किन्तु धर्म का कर्म

करने में कोई बुराई नहीं

अपितु कर्म को धर्म से

जोड़ने में बुराई है


यह एक अभावपूर्ण

नाज़ुक वक़्त है जो

जल्द ही गुज़र जाएगा

जैसे खुशबू

फूलों से होकर गुज़रती है

मीठे पानी के झरने


पहाड़ों के दहानों से

गिरकर गुज़रते है

हवा पेड़ो और प्रकृति से

होकर गुज़रती है

ठीक वैसे ही यह पल भी

गुज़र जाएंगे


बस हमें संयम और सब्र से

काम लेना होगा

सुरक्षित रहने का सिर्फ

एकमात्र तरीका है

हमें संयमित रहना होगा


जहां भी रहे टिककर रहना होगा

जहां है वहां एहतियातन रहना होगा

एक दूसरे से मैं तुम्हारे साथ हुँ

इस मुसीबत के घड़ी में

यह ज़रूर मुस्कुराहट के


साथ हमें कहना होगा

यह मुस्कुराहट ही हमारी ढाल है

कुदरत का भी यह कैसा कमाल है

परिन्दें आज़ाद है

इंसान परिंदों सा क़ैद है

यह एहसास है इंसान को


अपनी दरिंदगी को कुछ कम करने 

या फिर समाप्त करने का

संकेत है प्रकृति का मानव के लिए

अब नही सुधरे तो

दूसरा मौक़ा फिल्मों में मिलता होगा

यहाँ बिल्कुल भी नही मिलेगा


अभी भी वक़्त है सम्भल जाओ

सुधर जाओ नही तो

जान से जाओगे

जब जान ही न रहेगी

तो फिर किसके मज़े उड़ाओगे


बड़े बुजुर्गों ने कहा है

बुद्धिजीवियों ने भी कहा है

हमारे शास्त्रों ने भी कहा है

जान है तो जहान है।


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