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Praveen Gola

Abstract

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Praveen Gola

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फिर याद आ गए

फिर याद आ गए

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तुम आज फिर याद आ गए ,

दिल ~ए ~मस्ती के ....

इस जुनून में छा गए ,

तुम आज फिर याद आ गए |


बहुत दिनों से रोक रखे थे ,

ये दिल ~ए ~अरमान ,

तुम्हारे एक इशारे पर मुस्कुरा गए ,

तुम आज फिर याद आ गए |


सोचा था छोड़ देंगे अब ,

वो शबे ~ए ~रात की मस्ती ,

तुम्हारे बुलाने पर ये फिर गहरा गए ,

तुम आज फिर याद आ गए |


इस ज़िस्म के मिलन की भी  ,

है एक अजब कहानी ,

तुम्हारे आने से इसके अंग भी शरमा गए ,

तुम आज फिर याद आ गए |


साँसें गर्म होकर तेज सी होने लगीं ,

तुम्हारे एहसासों की गर्मी से पिघलने लगीं ,

तुम अपने होने का इत्र छिड़का गए ,

तुम आज फिर याद आ गए ||



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