फिर नया कुछ चाहिए
फिर नया कुछ चाहिए
मर नहीं सकता मैं ऐसे हाल में मेरे ख़ुदा,
चंद लम्हें है अभी, जिन से मुझे कुछ चाहिए।
वो अभी तक ये नहीं समझे कि हम क्या चीज़ है,
दिल अभी तक कह रहा है, दिल को वो ही चाहिए।
अब बचा क्या है, मैं जिसकी आरजू तुझसे करूँ
तेरी इस दुनिया से अब मुझको नहीं कुछ चाहिए।
ये उमर बीती है बस हसरत लिए हर शौक की,
वो उमर आएगी तो मुझ को सभी कुछ चाहिए।
एक बस उसकी नजर को देखने की चाह में
भूल बैठा हूं सभी कुछ, क्या पता क्या चाहिए।
फिर पुरानी आदतें अब अजनबी लगने लगीं,
ज़िद नयी पाली है मैंने, फिर नया कुछ चाहिए।