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Bhawna Kukreti

Abstract

4.5  

Bhawna Kukreti

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पहचान गयी !

पहचान गयी !

3 mins
345


ऐसा अक्सर होता है, जो औरों के साथ नहीं होता वो इधर होता है।

 साइकिक सेशन के लियेे श्रीमान "*******" 

बहुत समय से पूछरहे थे। इन सेशन में बहुत ऊर्जा लगती है सो बहुत दिनों तक मना करती रही लेकिन अंततः उनकी लगातार अनुनय को अनसुना नहीं कर पाई।

  उस शाम वीडियो कॉल हुई। मुझे उस ओर किसी महिला के होने की उम्मीद थी लेकिन वहां एक अधेड़ और गंभीर व्यक्तित्व के (ऐसे लगे बस) श्रीमान जी थे। चेहरे पर तेज , माथे पर त्रिपुंड लेकिन वेशभूषा किसी आधुनिक ।

" हाय भावना "

मैं असहज हुई क्योंकि एक तो नाम स्त्री पर उपस्थित एक महानुभाव ऊपर से इस तह का अभिवादन।

"नमस्कार !?"

जिस जिस तरह से वार्ता चली वह लिख रही हूँ।

"कैसी हो तुम? सब मंगलमय?"

"जी आशीष है ,क्या आपने सेशन लेना है?!"

"येससससससससस"

कह कर वे महाशय अलग ही अंदाज में कैमरे के और नजदीक आ गए । आंखें बेहद तीक्ष्ण, जैसे आरपार देख सकती हों।टैरो रीडिंग के इस क्षेत्र के लगभग हर दिन अलग स्वभाव प्रकृति के लोगों से वार्ता चर्चा होती है लेकिन ये अनुभव शायद अलग ही हो ऐसा तुरंत मन में आया।

"ओके आप अपना पूरा परिचय और समस्या के विषय मे बताएं। कोशिश करती हूँ की आपकी सहायता कर पाऊं"

 उन महानुभाव ने रहस्यमयी मुस्कान के साथ परिचय दिया ।

"इस बार कार्यक्षेत्र वैज्ञानिक था , धन की कमी नहीं तो समय से पहले रिटायर हो गया। तुम्हे खुशी होगी जानकर की इस बार तंत्र विद्या में "*****" सिद्धि प्राप्त कर ही ली। अब भी साधनारत हूँ। परा शक्तियों से संपर्क भी हो गया है। अब अपने पुराने लोगों को ढूंढते रहता हूँ । यूं ही फेसबुक पर टाइम पास कर रहा था।तुम्हारा लाइव सेशन देखा। अचंभित रह गया और तभी से तुमसे संपर्क करना चाह रहा था।

"जी "

"तुमको जानना नहीं है कि क्यों सरप्राइज हो गया और क्यों बात करना चाहता था।"

"नहीं सर आवश्यकता नहीं ।आप अपनी समस्या कहें।आपका अलोटेड समय कम हो रहा है।"

"तुमको मेरे प्रति कोई आभास नहीं हो रहा ?"

"सब व्यर्थ है सर । आप बताएं कि आप किस संदर्भ में मुझसे सेशन चाह रहे थे।"

" ?"

वे महाशय लगातार मुझे देख रहे थे।

मुझे माथे के बींचो बीच कुछ चुभता सा लगा। अचानक से आभास हुआ कि ये व्यक्ति कोई        
तामसिक ऊर्जा प्रक्षेपित कर रहा है।

" यदि आप अपना प्रयास जारी रखेंगे तो मैं इस सेशन को यहीं खत्म कर रही।"

"आभास हुआ ?!!!! "

इस बार मैंने उसे बहुत जोर से घूरा। उसका चेहरा एक दम से वुझ गया।

"रुको प्लीज , मैं बस ये चाहता था कि तुम मुझे पहचानो। बस इसीलिए तुमसे सेशन बुक किया।"

   वो व्यक्ति सच बोल रहा था।उसकी कातर दशा पर मन अचानक भावुक हो गया।ऐसा लगा जैसे मेरा मुझपर उस क्षण नियंत्रण खो गया था ।

" सब ब्यर्थ है, शरीर ने जब जब चोला बदला तो तब तब वह सब पीछे छोड़ आया।"

"मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ , मुझे सब याद है।"

मुझे भी पूर्वजन्म  का सब याद आ चुका था मगर उचित नहीं लगा उस को स्वीकार करना। मैं शान्त निर्लिप्त भाव से बैठी रही।

"इसका मतलब तुम पहचान गयी हो? मिलते हैं कभी फिर।"

मुझे आभास हुआ कि इस बार मेरी आंखों में आग सी उतर रही है।

मैंने उस कॉल को डिस्कनेक्ट कर दिया। और उसको ब्लॉक कर दिया।

  जीवन मे कई बार आप पूर्वजन्म के संबंधों से मिलते हैं। यदि आप उनकी तृष्णा में बहेगे तो सामाजिक रूप से विनाशकारी परिणाम मिलेंगे और कर्म बंधन को और भी जटिल करते चलेंगे। ये व्यक्ति भी ऐसा ही था। इसे ईश कृपा थी लेकिन यह भ्रमित हो रहा था। उसके और मेरे स्वयं के आत्मिक विकास के लिए इस जीवन को इसकी आवश्यकता के लिए सहजता से जीना जरूरी है।


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