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Akansha Rupa chachra

Romance

4.3  

Akansha Rupa chachra

Romance

फैसला

फैसला

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224



हक जो तेरा था तू आजमाता ही रहा

कभी मुझे हँसाता और रुलाता ही रहा

प्यार मे तेरे सँवरते,बिखरते, रूठते हम रहे

पर अफसोस मुझे खिलौना बना छलता

तू रहा

तेरे इंतजार मे ता उम्र रहेगे

कठपुतली बन कर

ये डगर भी तो हमने चुनी है

प्यार हद से ज्यादा किया तुमसे

इस कदर तेरे हर फैसले मे चुप्पी साध ली है

हम मरे या जिंदा हैं

उसकी भी ने तूने खबर ली है

हमने प्यार ही तो किया था

या गुनाह इस की भी तो खबर नही है

ज्यादा या कम पर ,आखिरी स्वांस तक

ये फितूरे-आशिकी निभाने का है

तुझे मंजूर मेरे आँसू तो

ता-उम्र हमे आँसू बहाना है

तेरे मोम से दिल मे जगह मिली थी

हमे

जब दस्तक हमे देकर बुलाया था

आज कैद तेरे घर मे हुए

इस कदर

अब तो रिहाई भी नही

तेरे इश्क मे तड़पकर मरे या

तेरे रहम की नज़र को तड़पे

इश्क करने की सज़ा मे

तड़पना हमको

हममें लाखो खामियां निकाल लेते हो

मेरे प्यार के कोने को भी देखा होता

तेरी तस्वीर को यादो मे संजो कर

आराम से कट रही है

जिंदगी मेरी

तेरी डीपी को देख कर जी लेते हैं

तेरी बातो को सोचा करते हैं।

शायद कभी तुम लौट आओ

इस आस के सहारे

अब तक जिंदा है.....


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